Saturday, October 24, 2020

Navratri 2020 | Live Performance | Dr Sanyukta Kashalkar| Stotra | Ya Devi Sarva Bhuteshu | Star Academy of Music, Mumbai


Navratri 2020 | Live Performance | Dr Sanyukta Kashalkar| 

Stotra | Ya Devi Sarva Bhuteshu | 

Star Academy of Music, Mumbai

On the occasion of Saptami of Navratri 2020 [23rd October, 2020], I got an opportunity to bestow my prayers through singing Durga Stotra in Raagas: Shuddha Kalyan and Yaman. 

All thanks to my dear friend Smt. Arti Asthana and Shri Vivek Asthana organised a Live streaming session from their Star Academy of Music, Mumbai in collaboration with Allahabad's Mata Kalyani Devi Mandir for Live aarti for the auspicious nine days and remembering the different Roopas of Maa Durga. Many artists were invited to sing on the occasion from all over India and abroad. 

Following is the Sanskrit Stotra sung by me and towards the end is the YouTube Video with the link.  Enjoy.

नवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।  मैं, डॉ संयुक्ता कशालकर - कर्वे का नवरात्रि के अवसर पर, प्रयागराज के शक्ति पीठ, " माता कल्याणी देवी मंदिर " को अपने स्वरों से भेंट चढ़ा कर उन्हें नमन करूंगी। अवश्य सुनिएगा। अंत में मातारानी के दरबार से आरती का सीधा प्रसारण है । मां कल्याणी के दर्शन लीजिए।

-डॉ संयुक्ता कशालकर




 ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते


नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः
नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणता स्मरताम

या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरुपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरुपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषुच्छायारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषुच्छायारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

https://www.youtube.com/watch?v=wnMk74wHL6c&t=500s


#kalyani_mandir #prayagraj #navratri Seventh Day। भजन संध्या। आरती। Premiere LIVE|


- Sanyukta Kashalkar
23/Oct/2020

Sunday, October 11, 2020

अब शांत हो जा घबराया मन!





उस डर संग जीना नहीं चाहती,

उस एहसास को पास लाना नहीं  चाहती,

क्यूं डरूं जब सत्य का साथ है,

क्यूं उलझूं जब प्रश्न साफ है,

क्या पहल करूं कि कोई सुने मुझे,

क्या अमल करूं कि कोई बताए मुझे,

पूछताछ अकेले में, 

किसको और कितना दूं उत्तर?

क्यूं दूं? कब दूं? कहां दूं? 

संभल के बोलूं या खुल कर कह दूं,

नाप तौल कर बोलूं या चुप ही रहूं,

क्या सुन ही लूं? 

खुद को रक्षा, खुद की वकालत,

कब तक करूं..... कब तक सहूं,

माथे की लकीर बनती बिगड़ती,

कुछ गहरी कुछ फिंकी,

क्या ठीक करूं, क्या जोडूं मैं,

की बदल सकूं अपना पथ मैं,

सीने में ज्वलंत एक आग है, 

कैसे उड़ेलूं पानी उसपर,

स्वयं को सुस्थिर हरबार दिखा कर,

अश्रु भूल गए आना बाहर,

लुका छिपी के इस खेल में,

कहीं खो गई हूं मैं, उस भय संग,


अब शांत हो जा घबराया मन!

अब शांत हो जा घबराया मन!


- संयुक्ता कशालकर

Image Courtsey: https://www.pinterest.ca/pin/539939442807633364/

Friday, October 9, 2020

ये कैसा प्रलय आया है ?



Covid-19 के इस भयानक दौर में मेरे कुछ शब्द| जो देखा, जो महसूस किया .... 




ये कैसा प्रलय आया है ?

ये कैसा प्रलय आया है ?

न कोई दिखता है, न कोई भटकता है, 

न कोई सुनता है, न कोई सुनाता है, 

सूनसान रास्ते, सूनसान गलियां हैं, 

पंछी उड़ गए सारे कहीं जैसे ,

बस घोंसलें है जो शांत हैं, 

तरसते उन चहचहाटों को,

शून्य की भाँती ये समय है, 

जहाँ सदा ही कौतुहल, जहाँ सदा ही दौड़, 

जहाँ सदा ही निंदा, जहाँ सदा ही प्रसन्नता, 

जहाँ सदा ही द्वेष, जहा सदा ही एकता, 

तो फिर सहसा ये क्या हुआ?

कौन ये विदेशी शरीर में आया?

सारे दुःख पीड़ा ,एक साथ ही ,अनुभव में लाया, 

अपनों की ही अंतिम यात्रा में, 

अपनों का ही न आना ! 

इतनी यातना, इतना परिश्रम देख- समझ, 

आया मनुष्यता का ऐसा समय, 

एहसास हुआ क्या छूट गया पीछे, 

और क्या है पाया?

सतर्क हमेशा रहकर ही, 

तामसिकता का नाश कर, 

पद, कद, काठ, रंग, जात, 

सब आ खड़े हुए एक समान,

सिखा गया सबको, सविनयता का पाठ, 

एक विदेशी आकर, कर गया सबका नाश !

-संयुक्ता कशालकर 

Image Courtesy: https://www.paho.org/en/news/25-3-2020-similarities-and-differences-covid-19-and-influenza