Wednesday, July 22, 2020

अनसुना अनकहा अनदेखा

कुछ चुनिंदा महिलाओं के संग मेरी जंग इस कविता द्वारा प्रस्तुत है। कई बार ये एहसास दिलाया जाता है कि तुम निर्बुद्धि और असमर्थ हो । अहंकार न जाने किस चीज़ का होता है ? बात कर ली तो जैसे कृपा हो गयी । कुछ वर्ष तो समझने में ही व्यतीत हो गए की आखिर हो क्या रहा है ? फिर बत्ती जली और समझा की निरर्थक प्रयास के चलते कितनी ऊर्जा नदी में प्रवाहित कर दी । और फल के रूप में कुछ ना मिला । 

2d silhouette, two women talking

अनसुना अनकहा अनदेखा

पहले से राय बना कर,
खुद को अलग है कर,
ना जाने क्या तुमने है पाया ?

आया कोई जीवन में नया तो,
उससे बात तो करो ! 
कोशिश तो करो, आगे बढ़ने की,
शायद वह अच्छा हो ! 

पूर्वाभास किस आधार पर ?
कि वह है कहीं और से ? 
या फिर, कोई नहीं चाहिए था,
जीवन  में हमेशा के लिए ।

नकारात्मकता किस आधार पर ? 
वह तो आया है, तुम संग बिताने वक़्त ,
फिर भी , हां - नहीं के उत्तरों से निबटा कर,
कर देना वार्ता ख़त्म |

व्यतीत होता है मुझको,
मानो जैसे किया हो कोई अपराध,
पर सिर ठोक कर पूछ लो,
ना मिलेगा कोई जवाब ।

हर क्षण सोचता है मन,
क्या है मेरा अपराध ? 
कोई बता देता मुझे,
तो बढ़ता जीवन में विश्वास।

एक बार देखो तो सही मुझे,
सुन भी लो एक बार,
मैं इतनी भी असक्षम नहीं,
कि तोड़ ना पाऊं तुम्हारे विचार।

मैं तुम्हें प्रेम ही दूंगी,
दूंगी तुम्हें अपना साथ,
कोशिश तो करो मुझे अपनाने की , 
आजाएंगी ख़ुशियों की बहार !

अपनाएंगे एक दूसरे की कमियां,
कुछ सीखूंगी मैं तुमसे,
कुछ तुम मुझसे सीखना , 
संग प्रवास कर मित्र बनना  ।

कितनी बार सोच कर देखा,
प्यार से जता कर देखा,
पर ना जीत पाई मन तुम्हारा ,
कठिन बनाया रास्ता मेरा |

तुम आसान नहीं हो , 
इतना टटोल कर , और ,
सतत् करने पर प्रयास,
नहीं जीत पाई विश्वास तुम्हारा ।

समय बहुत बीत गया अब,
केवल इकतरफा अनुराग , 
आगे और नहीं हो पाएगा , 
मेरी भी है समय सीमा ।

समझा लिया है स्वयं को , 
हम दोनों ही थे असमर्थ , 
नामंज़ूर  है अब इतना,
मानसिक और बौद्धिक कष्ट  उठाना |

शीत युद्ध कर हो गयी थकान ,
शायद यही है मर्म और सार ,
माना यही अंतिम परिणाम ,
सब अनसुना अनकहा अनदेखा !

संयुक्ता कशालकर


16 comments:

Sadhana Joshi said...

Kabhi kabhi aisa hota hai kisse tuning nahin jam pata, hamare lakh koshishon ke bavjud vo hamen nahi apnata! Well expressed!

unknown said...

Sach Kaha Sanyukta!

Sanyukta Kashalkar-Karve said...

Dhanyawaad!

Unknown said...

apni baat kitni sundarta se rakha hai Sanyukta..... Khush Raho Abaad Raho!

Unknown said...

Nice composition.

Unknown said...

Very nice 👍 composition

unknown said...

Expressive poems.

unknown said...

बधाई हो दीदी

ASTRO PRAYAG SANGAM said...

अतिसुन्दर.

Sanyukta Kashalkar-Karve said...

Thanks 😊

Unknown said...

Kaun he ye mahilayein ??

Sanyukta Kashalkar-Karve said...

Hahah 😅

Anonymous said...

Ansuna ankaha beautifully explains mindless ego and self centred behaviour

Anonymous said...

छान व्यक्त झालीस ग ������ खूप।छान
कुछ अनसुना , अनकहा .... "खूब कांही सांगून गेली ... अगदी खरे लिहिले
पहिल्या दिवशी पासून।फक्त अपेक्षा
एका पीढ़ी के अंतर पण स्वतः शी तुलना...
त्यात 20 बसलो की चिड चिड ...
कधी न संपणारे शीत युद्ध

Sanyukta Kashalkar-Karve said...

खूप खूप मना पासून धन्यवाद!🙏

Sanyukta Kashalkar-Karve said...

Thanks