Thursday, May 14, 2020

ग्रीष्म

इलाहाबाद / प्रयागराज और उज्जैन में ग्रीष्म ऋतु  के साथ मेरे कुछ अनुभव -- इस कविता में लिखित हैं ।  प्रस्तुत कविता, ऋतुओं के आगमन और प्रस्थान के बीच, मनुष्य के जीवन को कैसे बनाता है, उसपर कैसे असर डालता है; माया मोह के आकर्षण से प्रकृति किस प्रकार मनुष्य को उससे बाहर आना और उम्मीद कायम रखना, अपने तरीके से  सिखलाता है, उसका सरल भाषा में उल्लेख है | 

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ग्रीष्म

जब फूलों का गुलदस्ता ,
बहार लाती ऋतु वसंता ,

कहीं लाल कहीं गुलाबी ,
कहीं नील कहीं सिंदूरी ,

हरे रंग की चादर पर,
प्रकृति दिखती हो जैसे अमर |

मन प्रति पल होता प्रफुल्लित,
चक्षु देख वह रंगीन मधुमास,

ऋतुराज का होता आकर्षण , 
जब होली में रंगते नर नार  |

मंत्रमुग्ध इतने हो जाते , 
कि मानो अब यही संसार ,

पर ऋतुराज सब पर जादू कर  ,
धीरे से कहता नमस्कार |

मोहक कर सबका जीवन ,
वह आयेगा अगले साल ,

और आता है फिर से  ,
पसीना बहाने कि बहार  |

ग्रीष्म का आगमन होते ही ,
सब होते हैं परेशान ,

कि अब करे भी क्या ! इस गर्मी में ,
सूरज ही बनेगा सबका यार  |

जीवन शैली में बदलाव, जैसे ,
कपास के पोशाक आते बाहर ,

भीनी माटी के माठ में ,
शीतल जल करता निहाल |

ऋतु कुसुमाकर जहां देकर ,
गया था रंगो का आशीर्वाद ,

वहीं ग्रीष्म का रंग प्यारा  ,
होता है पीला और भूरा |

माटी की सतह सूखकर ,
खेतों से गेहूं उठकर ,

आता है आंधियों का मेला ,
संग लता धूल का सामान  |

कुछ  मन मस्तिष्क को बेहलाने वाला ,
प्रकृति का आशीष है अमृतफल ,

पीला रंग मीठा मीठा ,
हरा रंग खट्टा खट्टा  | 

कुछ सुख देकर जाता है ,
अम्रखंड अमरस पन्ना ,

मुरब्बा और अचार ,
और उसके पेड़ की ठंडी छांव |

सब चाहें बस घर में रहकर ,
शीतल पवन का सेवन कर कर ,

शरीर को मिले बस ठंडक ,
मनाते बस यही पल पल,

कब जाएगा ग्रीष्म काल का असर ?
और फिर आए  मेघ बहार |

हर तरफ बादल ही बादल ,
करे उष्म धरा को शीतल  ,

कर दे अचला को मनमोहक,
इसी आशा में दीपक जला कर, 

कि फिर आएंगे कई त्योहार  ,
उसी आम के पेड़ पर  ,

डलेंगे झूले कई बार,
हस्ते खेलते सभी नर नार ,

फिर भूलेंगे  कि अगले  साल ,
ग्रीष्म का आगमन होगा , फिर एक बार |

संयुक्ता कशालकर

9 comments:

unknown said...

Bahut sundar! You have shown the cycle of life beautifully !

Sanyukta Kashalkar-Karve said...

Okay... Thanks!

Unknown said...

Allahabad ki yaad dilaldi ! bahut achche

Unknown said...

Garmi ke dino ka itna sundar explanation.....

unknown said...

बहुत सुंदर मैडम 🙏

Unknown said...

Nice

Sanyukta Kashalkar-Karve said...

Thanks 😊

Sanyukta Kashalkar-Karve said...

धन्यवाद 🙏

Sanyukta Kashalkar-Karve said...

Hehe thanks 😊